आर्यावर्त भारतवर्ष में अब तो यह स्पष्ट हैं की
अंग्रेजी में अधिकांश लोग करप्ट हैं एवं हिन्दी में
लगभग लोग भ्रष्ट हैं
चूँकि मलयज समीर युक्त शस्यश्यामला भारत भूमि
दक्ष है ,
इसलिए छोटे-छोटे बड़े बाबुओं के आँगन में
घोटालों का उपवन ,
नेता मंत्रियों के आँगन में काले कारनामों का
कल्पवृक्ष है ,
इस कल्पवृक्ष के नीचे सभी दल सुख पारहे है
राष्ट्र में एकता है पक्ष-विपक्ष मिल-जूल कर खा रहे है
''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''
एक अति उत्कृष्ट भ्रष्ट से मैंने पूछा
मुझे भी भ्रष्ट होना है कोई उपाय सुझाईये
बोले पहले आत्मा का अंतिम संस्कार कर के आईये ,
नैतिकता का इमानदारी से श्राद्ध करने के बाद
बेईमानी एवं दलाली का आचरण अपनाईये
धीरे-धीरे भ्रष्ट तत्व खून में बढने लगेंगे
सदाचार संक्षिप्त हो जायेगा
फिर आप क्या आप का पूरा खानदान
भ्रष्ट्राचार में लिप्त हो जायेगा ,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
फिर आप के घर नवजात शिशु भी बोलेगा
हे जगत नियन्ता
विधायक बनू या अभियन्ता ,
पुत के पांव पालने में हिलेंगे
सोचेगा
अधिक माल कहाँ मिलेंगे
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
ऐसा इसलिए होता है गर्भस्त शिशु को
बाप सुनाता है काले कारनामे के किस्से
घोटालों के जेवर से लदी माँ सुनाती है रिश्वतखोरी की लोरी
पिता तिहाड़ गमन करता है ,
बेटा भीष्म प्रतिज्ञा करता है सारे आरोपों को गलत सिद्ध करके दिखाऊंगा
माँ मैं भी संसद में जाऊंगा
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
किसी दिन मैले कुचैले हम उम्र लड़के को फुटपाथ पर देखने के बाद
जब पचास लाख के वातानुकूलित बाथरूम में
विदेशी साबुन से स्वदेशी दाग धो नहीं पाता है तो बस
यही दुहराता है कुछ दाग अच्छे होते है
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
लेकिन यह दाग किसी नेता या मंत्री के दामन पर नहीं लगता
यह दाग लगता है उतुंग हिमालय के मस्तक पर
वलिदानियों के वलिदान पर
तिरंगे के सम्मान पर
पुरे हिन्दुस्तान पर ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
डॉ अनिल चौबे
"वाराणसी "
अंग्रेजी में अधिकांश लोग करप्ट हैं एवं हिन्दी में
लगभग लोग भ्रष्ट हैं
चूँकि मलयज समीर युक्त शस्यश्यामला भारत भूमि
दक्ष है ,
इसलिए छोटे-छोटे बड़े बाबुओं के आँगन में
घोटालों का उपवन ,
नेता मंत्रियों के आँगन में काले कारनामों का
कल्पवृक्ष है ,
इस कल्पवृक्ष के नीचे सभी दल सुख पारहे है
राष्ट्र में एकता है पक्ष-विपक्ष मिल-जूल कर खा रहे है
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एक अति उत्कृष्ट भ्रष्ट से मैंने पूछा
मुझे भी भ्रष्ट होना है कोई उपाय सुझाईये
बोले पहले आत्मा का अंतिम संस्कार कर के आईये ,
नैतिकता का इमानदारी से श्राद्ध करने के बाद
बेईमानी एवं दलाली का आचरण अपनाईये
धीरे-धीरे भ्रष्ट तत्व खून में बढने लगेंगे
सदाचार संक्षिप्त हो जायेगा
फिर आप क्या आप का पूरा खानदान
भ्रष्ट्राचार में लिप्त हो जायेगा ,
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फिर आप के घर नवजात शिशु भी बोलेगा
हे जगत नियन्ता
विधायक बनू या अभियन्ता ,
पुत के पांव पालने में हिलेंगे
सोचेगा
अधिक माल कहाँ मिलेंगे
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ऐसा इसलिए होता है गर्भस्त शिशु को
बाप सुनाता है काले कारनामे के किस्से
घोटालों के जेवर से लदी माँ सुनाती है रिश्वतखोरी की लोरी
पिता तिहाड़ गमन करता है ,
बेटा भीष्म प्रतिज्ञा करता है सारे आरोपों को गलत सिद्ध करके दिखाऊंगा
माँ मैं भी संसद में जाऊंगा
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किसी दिन मैले कुचैले हम उम्र लड़के को फुटपाथ पर देखने के बाद
जब पचास लाख के वातानुकूलित बाथरूम में
विदेशी साबुन से स्वदेशी दाग धो नहीं पाता है तो बस
यही दुहराता है कुछ दाग अच्छे होते है
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लेकिन यह दाग किसी नेता या मंत्री के दामन पर नहीं लगता
यह दाग लगता है उतुंग हिमालय के मस्तक पर
वलिदानियों के वलिदान पर
तिरंगे के सम्मान पर
पुरे हिन्दुस्तान पर ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
डॉ अनिल चौबे
"वाराणसी "
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