तीसी की बत्तीसी देख सरसो ने हँस कहा
परसों से बदला ये तेरा रंग ढंग है।
गाँव के सीवान पर आने वाला है बसन्त
आगमन सुन सुन उठता उमंग है।
अंगुरी की पोर पर गीनत हेमन्त अन्त
जस जस बीते दिन बाजत मृदंग है।
सिहरत अंग देख पूस मन दंग हुआ
शिशिर की शीशी को उढ़ेलता अनंग है।।

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