सौगन्ध खाकर आप संसद में भूल गए
सड़कों पर दुर्गन्ध आ रही विचित्र है।।
सारे छल छंद किये अपना प्रबन्ध किये
भाषण दिये तो लगा भावना पवित्र है ।।
कामना करेंगे किन्तु काम ना करेंगे आप
जन अभिशाप पाप दिखता सचित्र है।।
कोई गिरगिट कहीं मस्त दिख जाये तब
लगता है ऐसा कि ये आपका चरित्र है।।
सड़कों पर दुर्गन्ध आ रही विचित्र है।।
सारे छल छंद किये अपना प्रबन्ध किये
भाषण दिये तो लगा भावना पवित्र है ।।
कामना करेंगे किन्तु काम ना करेंगे आप
जन अभिशाप पाप दिखता सचित्र है।।
कोई गिरगिट कहीं मस्त दिख जाये तब
लगता है ऐसा कि ये आपका चरित्र है।।
वहुत ही करारा व्यंग्य अनिल जी।
जवाब देंहटाएंपूर्व सरकारों के लिए यह सटीक है। परंतु वर्तमान सरकार पर यह घटित हो रहा है यह पुष्ट करने के लिए अभी और इंतजार करना होगा। भगवान से प्रार्थना है कि आपकी रचना साहित्य के काम तो आए परंतु वर्तमान सरकार अपने कर्मों से इसे नकार दे। जनता का भला होगा।
आप अलख जगाते रहें, युग बदलेगा।
सार्थक मार्ग दर्शन के लिए आभार
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