Jul 30
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एक थी गंगा | युगों युगों से बिना भेद भाव के सबका उद्धार करने वाली गंगा
अब कई बाँधों में बंधने और नहरों में बँटने के बाद सूखे रेत में मछली की
तरह पड़ी तड़प रही है | सम्भव है गंगा की गौरव-गाथा कल को भूतकाल की कथा
हो जाय अत: “थी” लगाना आवश्यक है एक थी गंगा |
कुवाँरी कुन्ती की समस्या का समाधान कराने वाली, रैदास की कठौती
में आने वाली गंगा जो कभी निश्छल कल-कल प्रवाहमान थी ,तथाकथित ईमानदार
प्रधानमंत्री की तरह विवश एवं लाचार होकर मौन हो गयी है | जैसे-जैसे
किनारों पर बसे हुए शहर विकसित और सभ्य होते गए गंगा में प्रदूषण बढ़ता
गया | सभ्य समाज का विकसित प्राणी अपने घरों की दिन में तीन बार सफाई
करता है और कचरा पड़ोसी के घर के सामने डाल देता है | पूजन हवन के बाद
बची हुई सामग्री पोलोथिन सहित गंगा में प्रवाहित करने के बाद भक्त जब
श्रद्धावनत होकर हाथ जोड़ते है तो गंगा समझ नहीं पाती है कि हाथ सम्मान
में जोड़े गए हैं या कूड़ा से मुक्ति पाने पर | गंगा दर्शन के पुण्य लाभ
के साथ ही कूड़े से मुक्ति मिल जाती है एक पर एक फ्री |
इधर कई सामाजिक संगठनों ने ,स्वयंभू गंगापुत्रों ने
,सन्तों-महंथों ने घाटों से लेकर पंचसितारा होटलों तक जनता को जागरूक एवं
सरकार को जगाने का काम किया | सरकार आराम करते-करते थक जाती है तो थोडा
आराम कर लेती है | चिंतक भी मद्यपान कर के ही मद्यनिषेध पर बढ़िया चिन्ता
व्यक्त करता है | ठीक वैसे ही ,,,,,
अविरल गंगा के लिये सबने चिन्ता की |
गंगा पर भाषण दिये मिनरल वाटर पी ||
अपने-अपने हिस्से की गंगा सब उल्टी सीधी बहाने में लगे है | कुछ हाथ धो
रहे है तो कुछ डुबकी लगा के कुल खानदान सहित तरने का पुख्ता इन्तजाम कर
रहे हैं | कई मगरमच्छ भी आँसू बहा रहे है| गंगा मौन है प्रदूषण जारी है |
माबदौलत भी दु:खी है -
प्रदूषण जस का तस मिला भगीरथ मिले अनन्त |
नाले गंगा में मिले होटल में मिले सन्त ||
हम तो सारे पाप गंगा के भरोसे करते थे | यह भरोसा भी अब राम भरोसे है |
हर दल के माननीयों का दौरा होता है हम अपने शहर की छोटी मोटी समस्याओं पर
उनके आश्वासन के हाथों अपनी पीठ खुजला कर खुश हो जाते है | हमारी
सांस्कृतिक विरासत पर खतरा बढते ही जा रहा है ,,,,,,
वो आके मेरे शहर से वापस चला गया |
हम सड़क कूड़ा सीवर दिखाते ही रह गए ||
डॉ अनिल चौबे
अब कई बाँधों में बंधने और नहरों में बँटने के बाद सूखे रेत में मछली की
तरह पड़ी तड़प रही है | सम्भव है गंगा की गौरव-गाथा कल को भूतकाल की कथा
हो जाय अत: “थी” लगाना आवश्यक है एक थी गंगा |
कुवाँरी कुन्ती की समस्या का समाधान कराने वाली, रैदास की कठौती
में आने वाली गंगा जो कभी निश्छल कल-कल प्रवाहमान थी ,तथाकथित ईमानदार
प्रधानमंत्री की तरह विवश एवं लाचार होकर मौन हो गयी है | जैसे-जैसे
किनारों पर बसे हुए शहर विकसित और सभ्य होते गए गंगा में प्रदूषण बढ़ता
गया | सभ्य समाज का विकसित प्राणी अपने घरों की दिन में तीन बार सफाई
करता है और कचरा पड़ोसी के घर के सामने डाल देता है | पूजन हवन के बाद
बची हुई सामग्री पोलोथिन सहित गंगा में प्रवाहित करने के बाद भक्त जब
श्रद्धावनत होकर हाथ जोड़ते है तो गंगा समझ नहीं पाती है कि हाथ सम्मान
में जोड़े गए हैं या कूड़ा से मुक्ति पाने पर | गंगा दर्शन के पुण्य लाभ
के साथ ही कूड़े से मुक्ति मिल जाती है एक पर एक फ्री |
इधर कई सामाजिक संगठनों ने ,स्वयंभू गंगापुत्रों ने
,सन्तों-महंथों ने घाटों से लेकर पंचसितारा होटलों तक जनता को जागरूक एवं
सरकार को जगाने का काम किया | सरकार आराम करते-करते थक जाती है तो थोडा
आराम कर लेती है | चिंतक भी मद्यपान कर के ही मद्यनिषेध पर बढ़िया चिन्ता
व्यक्त करता है | ठीक वैसे ही ,,,,,
अविरल गंगा के लिये सबने चिन्ता की |
गंगा पर भाषण दिये मिनरल वाटर पी ||
अपने-अपने हिस्से की गंगा सब उल्टी सीधी बहाने में लगे है | कुछ हाथ धो
रहे है तो कुछ डुबकी लगा के कुल खानदान सहित तरने का पुख्ता इन्तजाम कर
रहे हैं | कई मगरमच्छ भी आँसू बहा रहे है| गंगा मौन है प्रदूषण जारी है |
माबदौलत भी दु:खी है -
प्रदूषण जस का तस मिला भगीरथ मिले अनन्त |
नाले गंगा में मिले होटल में मिले सन्त ||
हम तो सारे पाप गंगा के भरोसे करते थे | यह भरोसा भी अब राम भरोसे है |
हर दल के माननीयों का दौरा होता है हम अपने शहर की छोटी मोटी समस्याओं पर
उनके आश्वासन के हाथों अपनी पीठ खुजला कर खुश हो जाते है | हमारी
सांस्कृतिक विरासत पर खतरा बढते ही जा रहा है ,,,,,,
वो आके मेरे शहर से वापस चला गया |
हम सड़क कूड़ा सीवर दिखाते ही रह गए ||
डॉ अनिल चौबे
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