दिलावर फ़िगार (पाकिस्तान )
अजब अखबार लिक्खा जा रहा है
कि मंशा वार लिक्खा जा रहा है
लिखी है हाले दिल ए दिल में हाए हौवज
ये हाल ए ज़ार लिक्खा जा रहा है
कही गोली लिखा है और कही मार
ये गोली मार लिक्खा जा रहा है
मैं रिश्ता दार हूँ उस का सो मुझ को
सिरिश्ता दार लिक्खा जा रहा है
मिज़ाज ए यार बरहम है कि उसकी
मजाज़ ए यार लिक्खा जा रहा है
समुन्दर पार पढ़ने जा रहा हूँ
समुन्दर पार लिक्खा जा रहा है
अजब अखबार लिक्खा जा रहा है
कि मंशा वार लिक्खा जा रहा है
लिखी है हाले दिल ए दिल में हाए हौवज
ये हाल ए ज़ार लिक्खा जा रहा है
कही गोली लिखा है और कही मार
ये गोली मार लिक्खा जा रहा है
मैं रिश्ता दार हूँ उस का सो मुझ को
सिरिश्ता दार लिक्खा जा रहा है
मिज़ाज ए यार बरहम है कि उसकी
मजाज़ ए यार लिक्खा जा रहा है
समुन्दर पार पढ़ने जा रहा हूँ
समुन्दर पार लिक्खा जा रहा है
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