देश के लिए .....

               घनाक्षरी
बनना पड़े सुमन किसी उपवन का तो
सैनिक चरण चूम पाने कि ललक हो !
शीतल समीर रूप यदि धरना पड़े तो
रणबांकुरों के शीश छाने कि ललक हो !
जन्म लेके मानव का आना हो हजार बार
राम कि ही भूमि पर आने कि ललक हो !
चाहे यम से ही दो दो हाथ करना हो किन्तु
देश के लिए ही मिट जाने कि ललक हो !

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