हे भारत के भगोडे करोडपतियों



कल एक समाचार पढा। विगत चैदह वर्षो में इकसठ हजार करोडपति देश छोड कर विदेशों में जा बसे। मोटी हेडिंग पढकर ही मन बेचैन सा हो गया । अन्दर की खबर कौन पढे। हे राम क्या हुआ होगा उन पत्नियों का जिनके इकसठ हजार करोड पति विदेशों में जाकर बस गये होंगे। जरूर पत्नियों के सताये होंगे बेचारे ये पति । हाय पतियों तुम्हारा कभी भी उद्धार नही हो सकता चाहे कितना भी सुधारक पैदा हो जाये तुम रहोगे तो केवल पलायनवादी पति ही। अभी सम्वेदना की बाढ में डूब उतरा ही रहे थे कि एक बुद्धजीवी प्राणी ने ज्ञान दिया कि आप जो सोच रहे है वे पति नही साहब, उद्योगपति जो पति से करोडपति हो गये वो पिछले चैदह वर्षो में इकसठ हजार, विदेशों में जाकर रहने लगे है। कारण बताया कि टैक्स, सुरक्षा और बच्चों की पढाई। हमने कहा गुरू यह यदि कारण है तो हो सकता है क्यों की वे करोडपति जो ठहरे। ये तो अब कुछ वर्षो से प्रथा जैसी हो गयी है। पच्चास हजार महिने के आने लगे तो पुस्तैनी गाॅव को लात मारकर शहर चले आओ। लाख आने लगे तो शहर को ठेंगा दिखाकर महानगर की ओर भागो और जब चालीस पच्चास करोड हो गये तो लन्दन, सिंगापुर, दुबई या अमरिका वासी हो जाओ। अब इस देश में रक्खा क्या है। ठीक था कि ये भैतिकवादी मानसिकता त्रेत्रा युग में नही थी वरना राम चिल्लाते रह जाते कि जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयशी और लक्ष्मण लंका में ही बस गये होते। उत्तमोत्म उच्चशिक्षा, सुरक्षा और ईमानदारी  से धन कमाना हर आदमी का मौलिक अधिकार है और हर व्यक्ति को मिलना भी चाहिए।
 पूरे  विश्व को शून्य से परिचित कराने वाले महापुरूष की पढाई गाॅव के टाट पट्टी वाले प्राथमिक विद्यालय मे ही हुई थी। जगत को दर्शन शास़्त्र से अवगत कराने वाले भारत में जीवन की असली पढाई खुले आकाश में पेडो के निचे गुरूकुल परम्परा में होती रही है। भारत से पलायन करने वाले करोडपतियों, तुम विदेशी शिक्षा की दुकान से खरीदी गयी शिक्षा से अपने बच्चों को डालर तो दिला सकते हो लेकिन चरित्र और संस्कार कहा से खरीद कर दोगे। तुमने धन के आजाने पर जन्मभूमि रिश्तेदार परिवार और देश छोडा है। तेरे बच्चे इस परम्परा को और आगे बढायेंगे। ये अरबपति होगये तो तुम को छोडकर चले जायेंगे। विदेशी गलैमर की दुनिया में फाइव स्टार होटल में कैन्डिल लाइट में किया गया डिनर तेरा स्टेटस तो बढा सकता है लेकिन पेट नही भर सकता है। सुरक्षा और शिक्षा तो बहाना है तुझे तो डालर के चकाचैन्ध ने देश छोडने पर मजबुर किया है। जिन इकसठ हजार करोडपतियों ने सुख सुविधा के लिए देश छोडा है यह देश उन्हे किसी किमत पर याद नही करता। लेकिन रामेश्वरम के  एक साधारण नाविक के घर में जन्म लेकर भी जिन्होने देश के लिए सारी सुख सुविधाओं को छोड दिया। कभी देश छोडने की नही सोची, आज उनके अचानक दुनिया छोड देने पर, उन्हें एक अरब से ज्यादा भरतीय श्रद्धावनत होकर एक स्वर में कह रहे है।
 हे राष्ट्रगौरव,
 ए पी जे अब्दुल कलाम
 तुझे सलाम।

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