पूछने लगे है सभी अब तेरे सपने में
कोई रूपवती आके आह भरती है क्या ?
जिसके अयन एक टक तू नी हारता था
तेरे नयनों से कभी नींद हरती है क्या ?
टप टप बारिस की बून्द जब टपके तो
हृदय विदग्ध कल्पनायें जरती है क्या ?
इतना तो चुपचाप कोई सह लेगा किन्तु
कैसे समझायें कि घटायें करती है क्या ?
कोई रूपवती आके आह भरती है क्या ?
जिसके अयन एक टक तू नी हारता था
तेरे नयनों से कभी नींद हरती है क्या ?
टप टप बारिस की बून्द जब टपके तो
हृदय विदग्ध कल्पनायें जरती है क्या ?
इतना तो चुपचाप कोई सह लेगा किन्तु
कैसे समझायें कि घटायें करती है क्या ?
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