घनाक्षरी

लोग कैसे हो गये न जाने इस भारत के
आरत पुकारत है तान कर सो गये।
सो गये जगाने वाले नैतिक पतन हुआ
धर्मरथ रथी और सारथी भी खो गये।
खो गये लोलुपता में त्याग तप बलिदान
मनुज दनुज बन विष वृक्ष बो गये।
बो गये बबूल किन्तु चाहते सरस आम
राम धरा धाम के ये लोग कैसे हो गये।।

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