न सींचो विष के पौधों को ज़रा भाषा संभालो तुम
मोहब्बत से भरे सद्भावना के गीत गा लो तुम
है मेरा मशविरा तुमको कराना बाद में मुंडन
पड़ी जो जूं है दाढ़ी में उसे पहले निकालो तुम।

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