अब बहस न बात हो
प्रात हो या रात हो
खाना पीना साथ में
और आधार हाथ में
छोटे या बड़े रहो
घर में ना पड़े रहो
एटीएम की लाइन में
वीर तुम खड़े रहो,,,,,,,
हुक्म है सरकार का
पांच सौ हजार का
नोट सब बेकार का
बीबी और भतार का
शत्रु से लड़ने चलो
नोट बदलने चलो
भीड़ के पहाड़ को
तुम निडर हो ठेल दो
सिंह सा दहाड़े जो
उसको भी ढकेल दो
दूसरे की पीठ पर
संगीन सा चढ़े रहो..............
सब यहाँ समान है
हिन्दू मुसलमान है
लम्बा भी नाटा यहाँ
सिख मराठा यहाँ
खाके है खड़ा कोई
मूली पराठा यहाँ
बेटा न सिर फोड़ दे
प्रेमिका न छोड़ दे
कोई कसमकश न हो
भीड़ टस से मस न हो
तुम अडिग डिगो नही
जुगाड़ ताड़ते रहो
गिर पड़े तो मुस्कुराकर
धूल झाड़ते रहो
युद्ध थोड़ा कम हुआ
पैसा तो खतम हुआ
फिर भी इंतजार में
बैंक की कतार में
लट्ठ सा गड़े रहो
सोम को मिलेगा तो
रविबार से खड़े रहो........
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