दाउद भाई , ’’तुम वापस आजाओ अच्छे दिन आ गये है’’

हम सबके प्रिय,
   परम दाउद भाई,
     यथायोग्य ससम्मान अभिवादन,
सविनय निवेदन यह है कि भाई अब तुम वापस आ जाओ । अक्खा इन्डिया बोले तो सारे भारत में अब अच्छे दिन आ गये है। अच्छे दिन मतलब भई एकदम झक्कास दिन । प्रधानमन्त्री की तरह कभी इस देश में कभी उस देश में तुम्हारी यायावरी अब देखी नही जाती। भाई विदेश तो आखिर विदेश ही है। अपुन का देश स्वर्ग का माफिक है। काहेकू खालीपीली विदेश में टाईम बेस्ट करने का। भई इधर में सेट होने का लाईफ साॅलिड दिखता है। अपुन तेरे को लेटर इस बास्ते लिख रहा है कि किसी को पता नही की तू किधर को है। सरकार को भी नही। अपुन भाईगीरी छोड के राजनीति में चान्स मारेगा। मर्डर, अपहरण इसब बहोत पुराने धन्धे होगये अब अपुन लोग नेतागीरी चमकायेंगे। देखना भाई पीछे पीछे भागने वाली पुलिस आगे आगे भागेगी।
          भाई कोरट कचहरी से डरने का नही, जरा दिमाग पर जोर डाल के डिसाइड करने का जब अम्मा का, बहन जी का, सल्लू मियां का, अदालत कुछ न बिगाड पायी तो अपुन का क्या बिगाड सकती है। थोडा तगडा रोकडा खर्च करने पर कई लोग खुशी खुशी खुद को अदालत में दाउद बोलने लगेंगे।
            भाई कई पार्टियां प्राथमिक सदस्यता का फार्म लिये एक टक आपका राह निहार रही है। लेकिन अपुन तेरी शान में गुस्ताखी करना शर्मोहया के नाले में डूबकी लगाके बाहर आने के मुताबिक समझता हूॅं। इसलिये अपुन किसी भी पार्टी को क्रेडिट नही लेने देगा। ’’आप’’ पार्टी के माफिक ’’भाई’’ पार्टी का सिन्डीकेट तैयार करेगा। फिर अक्खा इन्डिया में चुनाव के समय अपना बोल बाला रहेगा।
        भाई वतनपरस्ती तेरे में ठोक ठोक के भरी है। तू ओरिजनल गरिबों का मसिहा है। इसलिए अपुन तेरे को बार बार बोलेगा कि , तुम अब वापस आजाओ। अच्छे दिन आ गये है। योगी जी और ओवैसी एक साथ जन गण मन गाने लगे है। गंगा का जल अमृत होगया है हिन्दू रोज आचमन करने लगा है मुस्लमान बज्जू करता है। मिनरिल वाटर को सब हिकारत भरी नजरों से देखने लगे है। पुलिस का रवैया सगे सम्बन्धियों सा लगने लगा है। दफ्तरों का बाबू उपरी आय को माथे से लगाना छोड दिया है। गाॅव गाॅव में सफाई अभियान जोरो पर है । भैंस लबे सडक गोबर नही करती। सरकारी अस्पताल में मरीज इलाज कराने से नही डर रहे है। शहरों में आये दिन छेड छाड करने वाले नवयुवक विवेकानन्द होने की प्रक्रिया मंे लग गये है। गरीबी देश से बाहर जाने की फिराक में है।
प्रधान मन्त्री को विदेश में दान देने से फुर्सत नही है। भाई तुम आजाओ एक जिम्मेदार आदमी का हमेशा देश मे होना बहुत जरूरी है। थेडा लिखना बहुत समझना।
                                                                                                                                 आपका
                                                                                                                               राइट हैन्ड     

3 टिप्‍पणियां:

  1. हा हा हा हा हा .....
    स्वनाम धन्य शायद इसी को कहते हैं। ब्लाग का जो नाम है यहाँ चरितार्थ दिख रहा है। ना टेंशन ना ज्ञान, केवल हँसी मुस्कान।
    मगर अनिल भाई साहब आपने व्यंग्य के धार को कुंद नहीं होने दिया है। साहित्य अपने मारक क्षमता के हिसाब से प्रभावी है।
    साधुवाद...।

    जवाब देंहटाएं