मैगी तू न गयी मेरे मन से


आषाढ मास के प्रथम दिवस आकाश में  घुमडते हुए काले काले बादलों को देखकर कालिदास के विरही यक्ष को अपनी प्रियतमा की याद आती है। और लगभग इसी समय, थोडे दिन आगे पीछे हो सकता है  छुटियों में बच्चों सहित पत्नी के मैके चले जाने पर वाईफ विहीन सुनसान पडे किचन में हम जैसे भूखे विरही पति को मैगी की बहुत याद आ रही है। यक्ष कुबेर से शापित था तुम सरकार से शापित हो गयी हो। प्रिय मैगी तुम्हारे रूप लावण्य का दर्शन सबसे पहले छा़त्रावास के काॅमन रूम में एक बडे हीरोइन ने टीबी के छोटे पर्दे पर कराया था।
मेस महाराज की कृपा से पनीगर सब्जी में सब्जी खोजने की अभ्यस्त आॅखे प्रथम दर्शन से ही तेरी दिवानी हो गयी थी। पहली बार तुझे मुंह के रास्ते पेट तक ले जाने में बहुत संघर्ष करना पडा था। इश्क में जंग का अनुभव तभी हुआ था, लेकिन सच्चे आश्कि की तरह बिना उफ तक किये तब से आज तक वफा किये जा रहा हूॅं। तुम भारतीय महिला की तरह दो मिनट कह कर कभी दो मिनट में तैयार नही हुयी लेकिन हमने भी पत्नी पालित पति की तरह कभी किसी प्रकार की कोई शिकायत करने की जुर्रत की हो तो बताओ। जब हमारा इश्क परवान चढा था तब तुम पाॅच रूपये की होती थी धिरे धिरे आश्किों की कतारें बढती गयी और तुम बीस की होने लगी। तेरा वजन भी कम हो गया लेकिन हमारे चाहने में कोई कमी नही आयी। शापित यक्ष रामगिरि पर्वत पर अपनी प्रियतमा का चित्र बनाकर, उसके चरणों में गिर कर माफी मांगना चाहता है लेकिन आॅखों में आंसू भर जाने के चलते प्रेयसी का चि़त्र दिखाई नही पडता। ठीक वैसे हम भी तेरे प्रतिबन्धित होने पर तेरा चमचमाता पैकेट डस्टबीन से निकाल कर कलेजे से लगाकर सुबक सुबक कर रोते है तो टेस्टमेकर पर लिखे शब्द दिखाई नही पडते। प्रिये मैगी तेरे मुहब्त में कितने जुल्म हम पर हुये क्या बतायें। फरहाद ने अपनी प्रेमिका से मिलने के लिए दूघ की नहर खोद डाली थी। कालेज के दिनों में एक पैकेट मैगी दिखाकर आदरणीय पिताजी तेरह सौं पैसठ एक्सक्वायर फीट जमीन खुदवा डालते थे। पर मैगी के दिवाने हम जबान से चूं तक नही बोलते थे। हमारे इश्क के दुश्मन कह रहे है लेड ज्यादा है एमएसजी ज्यादा है। हम खाकर मर जायेंगे। पर जब सम्बैधानिक चेतावनी वाली वस्तुयें खा पीकर तो आज तक हम मरे नही तो अब क्या खाक मरेंगे। मैंगी भले तुझे सरकार ने प्रतिबन्धित कर दिया हो लेकिन तू मेरे मन से अभी दूर नही गयी हो। हाय मैगी , हाय हाय मैगी।  


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