राधेश्यामी छंद


किसी फिरंगी के सपने में,मूँछों वाला दिख जाता था ।।
रक्त सुबह तक धमनी में जम, हिम के जैसा हो जाता था ।।
जिसकी बलिदानी गाथा की,
नित साक्ष्य इलाहाबाद रहा ।।
अमर लाडला भारत माँ का,आजाद सदा आजाद रहा ।।

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