मदिरा सवैया


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चैनल चार सदा चपको लपको
नवनीत न मण्ठ रखो।
देश विदेश पढ़ो कविता न
लिखो कविता मति सण्ठ रखो।
ज्ञान न हो रस छंद भले पर
संघ बनाकर लण्ठ रखो।
साध अबाधक मंच सखे कुछ
जोक सदा निज कण्ठ रखो।

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