सरकार प्याज से जितनी डरती और चिन्तित रहती है उतनी शायद चीन पाकिस्तान के साजिश से भी नही । डरे भी क्यों नही, जब भी प्याज अपने ताकत का फतवा जारी करता है सरकार को अपनी और जनता को अपनी औकात का पता चल ही जाता है। प्याज का भूगोल गोल और इतिहास तामसिक है। गन्धयुक्त प्रवृति होती है प्याज की सुना है उत्तेजना प्रदान करता है। खुबी यह कि मुफ्त में आॅखों की सफाई कर देता है। जब प्याज को अपने इस नैसर्गिक गुण का पता चला तो उसने जेब की सफाई भी करने की ठान ली। अतः अब इस का प्रयोग किचेन में दवाई की तरह होने लगा है। अभी तक उस आदमी का कुछ भी पता नही चल सका है जिसने सबसे पहले प्याज का स्वाद लिया था। धार्मिक ग्रन्थों ने प्याज के भाव को गिराने का काफी प्रयास किया लेकिन असफल रहे। इस उपेक्षित प्याज को हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई चारों भाइयों ने खुले दिल से अपनाया। जैसे ही प्याज की पहूंच किचन तक हुयी। बस इसके भाव आसमान छूने लगेे। सारा जनमानस प्याज के भाव अभाव को लेकर तनाव में आगया है। पत्नी पीडित पति प्याज प्रताडित होकर एक हाथ से जेब दबाये बाजार में प्याज के प्रति प्यार उजागर करते हुये विरह विलाप कर रहा है।
कल हमने भी हिम्मत करके सब्जीवाले से पूछ ही लिया -भाई प्याज क्या भाव दिये। पहले तो उसने उपर से निचे तक हमें घोर आश्चर्य से निहारा। फिर रहस्यमय स्वर में बोला- छोडिये साहब आप शरीफ आदमी है भाव जानकर क्या करना है ? नाहक सुबह सुबह बोहनी बिगड जायेगी। खराब तो बहुत लगा था लेकिन साहब और शरीफ सुन कर मन ही मन खुश हो गया था। जैसे होमगार्ड का जवान अपने लिए साहब सम्बोधन सुनकर हो जाता है। साधारण आदमी को प्याज का भाव पूछने का कोइ अधिकार नही रहा अब शरिफों को मोहताज है प्याज। गरीब , मजदूर, और किसान सूखी रोटी प्याज से खाकर पेट भर लेते थे। अब यह प्याज उनका उपहास करके साधन सम्पन्न परिवार की प्रशंसा पाने लगा है।
हमारे मकान मालिक ने कमरा किराये पर देते समय सख्त हिदायत दी थी कि हमारे यहाॅ रहोगे तो प्याज नही खाओगे। तब अजीब सा लगा था। अब जाके समझ मे बात आ रही है उनकी दूर दृष्टि कितनी नेक थी। प्याज न खाने का जो अध्यादेश पारित था वो सचमुच बहुत अच्छा था। जिसके मुंह प्याज लगा वह आज आंसू बहा रहा है। प्याज बिना कुछ भाता नही है और खरीदा भी जाता नही है। सूदखोर सोच रहा है कि ब्याज लूं कि प्याज लूं।
बीबीयां ब्यूटी पार्लर में मसाज लेने की अपेक्षा प्याज लेना अधिक पसन्द कर रही है। आप मेरी बात मानकर कुछ दिनों के लिए ही सही मेरी तरह वैष्णव हो जाये
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