मन्त्र की परीक्षा एक लेरही थी राजकन्या
और वो परीक्षा फल वरदानी हो गया ।
वरदान था की शाप था ये दिनमान जी का
बीती बात सोचकर ज्ञान ध्यानी हो गया।
कवच संयुक्त वक्ष बालक समक्ष देख
क्षणभर मातृ मन अभिमानी हो गया।
वही नवजात पड़ा गंगा जी की गोद में तो
सूर्य का प्रखर ताप पानी पानी हो गया।
और वो परीक्षा फल वरदानी हो गया ।
वरदान था की शाप था ये दिनमान जी का
बीती बात सोचकर ज्ञान ध्यानी हो गया।
कवच संयुक्त वक्ष बालक समक्ष देख
क्षणभर मातृ मन अभिमानी हो गया।
वही नवजात पड़ा गंगा जी की गोद में तो
सूर्य का प्रखर ताप पानी पानी हो गया।
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