कन्हैया

चोरी बरजोरी सब ठीक वनवारी आप
पूनम की रात मत वंशी को बजाइये।
टेर सुन आधी रात आना पड़ता है नाथ
लोक लाज की है बात यूँ न आजमाइये।
कहें तो कदम्ब छाँव आकर दबा दूँ पाँव
माखन खिलाऊँ नित बात मान जाइये।
किन्तु पनघट पर झट पट फोड़ घट
नटखट नटवर हमें न सताइये।।

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