श्रृंगार

पावस ऋतु में गोरी उपवन में गयी तो
सुमन भी झुक कर गंध सूंघने लगा।
आनन में कुमुद का भ्रम हुआ भ्रमर को
भ्रमित भ्रमर पीछे पीछे घूमने लगा।
काले केश राशि घन पवन उड़ाने लगे
पादप लता को अंक लेके चूमने लगा।
सुध बुध बिसरायी याद प्रीतम की आयी
अंग अंग में अनंग झूम झूमने लगा।

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