पता जिस दिन चलेगा बंद है सम्मान मुट्ठी में।
दबाकर रख नही पाओगे तब पहचान मुट्ठी में।
निशा देखेगी अपने भोर को घूँघट उठाकर के।
रखोगे कब तलक तुम कैद कर दिनमान मुट्ठी में।।
दबाकर रख नही पाओगे तब पहचान मुट्ठी में।
निशा देखेगी अपने भोर को घूँघट उठाकर के।
रखोगे कब तलक तुम कैद कर दिनमान मुट्ठी में।।
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