शब्द अर्थ के मध्य विराजो, सुरनायक गणपति महाराज।
रस छन्दों में गति प्रदाता, आकर कंठ समाओ आज।।
करूँ वन्दना भारत माँ की,अक्षर अक्षर उगले आग।
छल छद्मी वैरीजन जिसको,सुने रसातल जायें भाग।।
काले धन पर है कठोर अब, जय जय जय मोदी सरकार।
नोट पाँच सौ बन्द किए सब , बन्द किए हैं एक हजार।।
कर चोरी कर भरे तिजोरी, रखे रहे जो माल छिपाय।
गाज गिरी है उनके ऊपर, छाती कूट कूट चिल्लाय।
बीबी अपने नोट बदलती, अपने पति से आँख बचाय।
ऐसी मार पड़ी मोदी की, मुंह से हाय कही न जाय।।
निर्णय से निर्धन जन खुश है, काला पेट बजाता गाल।
कुछ दिनों की बात है भैया, फिर भारत होगा खुशहाल।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें