जल वायु और वृक्ष हैं प्रकृति के सौगात।
मन्द मन्द मुस्कात हैं हरियर हरियर पात।।
पेड़ काट कर बन रहे कंकरीट का धाम ।
फैल गये है गांव तक अपने बिल्डर राम ।।
पर्यावरण सँवारिये छोड़ सकल मतभेद ।
हो न ओजोन परत में नये नये नित छेद।
जल वायु और वृक्ष से अधरों की मुस्कान।।पर्यावरण बचाइये तभी बचेगी जान।।
पण्डित दीना नाथ चाहे चचा करीम।
हर उत्सव में रोपिये बरगद पीपल नीम | |
डॉ.अनिल चौबे
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